OIL Kiran Year 20 Vol 33
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वर्ष-20, अंक-33 2023
सवासभमान जगानषे हषेतु दषेशव्यापी असभ्यान प्रारंभ सक्या जाना
चासहए। इन ्सब प्र्या्सों कषे द्ारा ही भारती्य भाराओं का उत्ान
होगा एवं सहंदी सवश्व की भारा बन ्सकषे गी।
दवश्वभाषा की ओर दहनदरी के बढ़ते कदम - सवश्वभारा बननषे
की ओर सहनदी कषे बढ़तषे कदम भारत कषे स््यषे एक बडी उप्सबध
है। सहनदी सवश्वभारा बननषे की ्समसत अह्षताएं एवं सवशषेरताएं सव्यं
में ्समा्यषे हुए है। सवश्व में सहंदी भारी करीब 70 करोड ्ोग हैं।
सहनदी एक सवश्वभारा हैं, क्योंसक वह एक दषेश की राष्ट्रभारा होनषे
कषे ्सा्-्सा् अन्य दषेशों में भी प्या्षप्त ्संख्या में ्ोगों द्ारा स्खी,
बो्ी और ्समझी जाती है। वैश्वीकरण कषे पररप्रषेक््य में सहनदी कषे प्रसत
्सकारातमक प्रवृसत्त्यां है-
1. भरौगोस्क पर सहनदी सवश्वभारा है क्योंसक इ्सकषे बो्नषे-
्समझनषे वा्षे ्सं्सार कषे ्सब महाद्ीपों में फै्षे हैं।
2. जनतांसत्रक आधार पर सहनदी सवश्वभारा है क्योंसक उ्सकषे
बो्नषे-्समझनषे वा्ों की ्संख्या ्सं्सार में दलू्सरी है।
3. सवश्व कषे 132 दषेशों में जा ब्सषे भारती्य मलू् कषे ्गभग 2 करोड
्ोग सहनदी माध्यम ्सषे ही अपना का्य्ष सनष्पासदत करतषे हैं।
4. सहनदी सवं्य में अपनषे भीतर एक अनतरराष्ट्री्य जगत सछपाए
हुए हैं। आ्य्ष, द्रसवड, आसदवा्सी, सपषेनी, पुत्षगा्ी, जम्षन,
फ्ेंच, अंग्षेजी, अरबी, फार्सी, चीनी, जापानी, ्सारषे ्सं्सार
की भाराओं कषे शबद इ्सकी अनतरराष्ट्री्य मैत्री एवं व्सुधैव
कुटुमबकम वा्ी प्रवृसत्त को उजागर करतषे हैं।
5. एसश्याई ्संसकृसत में अपनी सवसशष्ट भलूसमका कषे कारण सहनदी
एसश्याई भाराओं ्सषे असधक
एसश्या की प्रसतसनसध भारा
है।
6. सहनदी का सक्सी दषेशी ्या
सवदषेशी भारा ्सषे कोई सवरोध
नहीं है। अनषेक भाराओं कषे
शबद ग्हीत होकर सहनदीम्य
बन गए हैं। ्यही कारण है सक
आज सहनदी का शबदकोश
सवश्व का ्सब्सषे बडा भासरक
शबदकोश है।
7. गुणवता की दृष्टी ्सषे अनुवाद की सस्सत बषेहतर होती जा रही
है। ्घु पसत्रकाओं में मरौस्क और अनुवाद कषे प्रकाशन का
सवागत और सवीका्य्षता बढ़ती जा रही है।
8. इंटरनषेट पर भी सहनदी सवीका्य्ष और ्ोकसप्र्य हो रही है। सहनदी
पत्रकाररता और सहनदी ्सासहत्य भी अब इंटरनषेट कषे माध्यम ्सषे
सवश्वभर में प्र्साररत होनषे ्गा है।
9. दषेश-सवदषेश में प्रकासशत होनषे वा्षे पत्र-पसत्रकाओं नषे सहनदी को
सवश्वभारा बना्या है। इ्सकषे द्ारा सहंदी भारा और ्सासहत्य का
प्र्सार सवदषेशों में हुआ है।
10. सहनदी की व्यापकता कषे कारण दुसन्या कषे 175 दषेशों में सहनदी
कषे सशक्ण और प्रसशक्ण कषे अनषेक माध्यम कषे नद्र बन गए हैं।
सहनदी का सशक्ण और प्रसशक्ण कषे नद्र सवश्व कषे ्गभग 180
सवश्वसवद्ा््यों, शैक्सणक ्संस्ाओं में च् रहा है।
11. भारत कषे आकाशवाणी और दलूरदश्षन सहनदी को सवश्व सतर पर
स्ासपत करनषे में सनरंतर का्य्षरत है। सवश्व कषे टषे्ीसवजन चैन्ों
्सषे सहनदी कषे का्य्षक्रमों कषे प्र्सारण नषे भी सहनदी को सवश्वभारा
बनानषे में महतवपलूण्ष भलूसमका सनभाई है।
अचछी बात ्यह है सक सवदषेशों में रहनषे वा्षे भारती्यों कषे बीच
भारती्य ्संसकृसत व भारा ्सीखनषे की रुसच बढ़ी है। ्यही कारण है
सक कई सवदषेशी दषेशों नषे भारती्य अध्य्यनों को बढ़ावा दषेनषे कषे स्ए
अपनषे ्यहां सहंदी ्सीखनषे कषे स्ए अध्य्यन कें द्र स्ासपत सकए हैं।
इन ्संस्ानों में भारती्य धम्ष, इसतहा्स और ्संसकृसत पर पाठ््यक्रम
उप्बध करानषे कषे ्सा्- ्सा् सहंदी, उदलू्ष और ्संसकृत जै्सषे कई
भारती्य भाराओं की सशक्ा भी
प्रदान की जाती हैं। वत्षमान कषे
वैश्वीकरण और सनजीकरण कषे
्सम्य में अन्य दषेशों कषे ्सा् भारत
कषे बढ़तषे व्यापाररक ्संबंधों नषे एक-
दलू्सरषे दषेशों की भाराओं को ्सीखनषे
की आवश्यकता को और भी
असधक बढ़ा सद्या है। एक-दलू्सरषे
दषेश कषे ्सा् ्सह्योग एवं सवका्स
की भावना कषे कारण सहंदी की
्ोकसप्र्यता अन्य दषेशों में बहुत
हमारी नागरी स्पी दुसन्या की ्सब्सषे वैज्ासनक स्पी है - राहुल सांकृ त्या्यन
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